नमस्कार दोस्तों !
स्वागत है आप सभी का मेरे ब्लॉग में ..
मित्रों ! कविता पढना मुझे हमेशा से ही एक अलग ही अनुभव देता है | मानो ऐसा लगता है है अपनी सबसे प्रिये वास्तु पा ली हो मैंने | पिछली रात मैंने हरिवंस राय बच्चन जी की कविता " जो बीत गई सो बात गई " पढ़ी | कितनी वास्तविक है वह कविता आज के परिदृश्य के हिसाब से , मै अपनी शब्दो में बयां नहीं कर सकता |
मनो ऐसा लग रहा है कि कोइ मुझे बड़े प्रेम से समझा रहा है , जो चला गया उस पर अफ़सोस क्यों करना | उस आसमान को भी तो देखो , उसके कितने तारे टूट गए है , बहुत सारे प्यारे तारे उस से छुट गए है परन्तु कभी तुमने आसमान को शोक मानते देखा है | उस बगीचे को तो देखो , कितनी कालिया और फूल उसके मुरझा जाते है पर क्या कभी तुमने बगीचे को अफ्सोस करते देखा है |
दोस्त ! जिंदगी में हम बहुत सारी चीजे पाते है, बहुत सारे लोगों से मिलते है कुछ चीजे हमारे साथ रहती है , कुछ लोग हमारे करीब होते है परन्तु कुछ समय के बाद चीजे और लोग हमसे छूटते चले जाते है | उसका कभी अफ़सोस नहीं करना चाहिए क्योंकि एक समय के बाद हम फिर से नई चीजों और लोगो के करीब हो जाते है | मुरझाई हुए जिंदगी फिर से खिल उठती है|
किसी ने सच ही कहा है ' सब कुछ खत्म हो जाने के बाद भी जो बची रहती है वो है एक नई शुरूआत ' |
कितने ही उदाहरण हमारे सामने है , जहाँ लोगों ने सब कुछ खो कर भी हार नहीं मानी , अंत तक संघर्ष करते रहे |
कुंवर नाराया जी कि कविता 'अंतिम उचाई ' इस क्षेत्र मे कितनी सार्थक है न ..
' कोइ अंतर नहीं रहता सब कुछ जीत लेने मे और अंत तक हार नहीं मानने मे '
जाते जाते मै आपके लिए हरिवंश राय बच्चन की कविता ' जो बीत गई सो बात गई ' लिखकर जाता हूँ ..
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई।।
बहुत बहुत धन्यवाद ..